शनि जयंती आखिर कब है? 26 मई को है या 27 मई को है?

शनि जयंती आखिर कब है? 26 मई को है या 27 मई को है?

इस कंफ्यूजन को हम दूर करने वाले हैं। साथ ही शनि जयंती में शनि देव की किस प्रकार से पूजा पाठ करें? और खासकर उन जातकों को जिनकी मेष राशि कुंभ राशि मीन सिंह धनु राशि है जिनके ऊपर साढ़ेसाती ढैया का बुरा प्रभाव है।

तो शनि के जयंती पे किस प्रकार से पूजा पाठ करें कि शनि का यह कुप्रभाव है जो आपकी राशियों पे चल रहा है। आपके ऊपर चल रहा है। आपके काम पे चल रहा है। आपके रिलेशन पे चल रहा है। वो कम हो जाए।

तो मित्रों सबसे पहले जेठ मास में पड़ने वाली जो अमावस्या होती है उसको जेठ अमावस्या या बड़ी अमावस्य के नाम से भी जाना जाता है। यानी ये सबसे बड़ी अमावस्या होती है। इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। पुराणों के अंदर लिखा है तो इसको शनि जयंती भी कहा जाता है।

अब शनि जयंती पे कंफ्यूजन है कि शनि जयंती आखिर 26 मई को है या 27 मई को है. तो पंचांग के अनुसार अमावस्या 26 मई 2025 में दोपहर के 12:11 से शुरू हो रही है और 27 मई को अमावस्या रहेगी। सुबह 8:31 तक रहने वाली है। उदय व्यापनी तिथि के अनुसार शनि जयंती आपकी 27 मई को ही मनाना श्रेष्ठक रहेगा। यह उदय व्यापनी मत के अनुसार यानी शनि जयंती आप 27 मई को मनाइएगा।

अब शनि जयंती के दिन क्या हम पूजा-पाठ करें कि शनि का प्रभाव, साढ़ेसाती का प्रभाव, दशा, महादशा, अंतर्दशा का प्रभाव, कुप्रभाव आप पे कम हो जाए और कलयुग के अंदर शनि न्याय के दाता है। कोर्ट केस चल रहा है तो भी आपको करना है।शनि कर्म के दाता है। काम ठीक नहीं चल रहा तो भी करना है। और शनि की साढ़ेसाती ढैया भी चल रही है।

तो किस प्रकार से आपको चीज़ें करनी है, किस तरह से पूजा-पाठ करनी है.

तो शनि जयंती के दिन आपको अह यानी कि 27 मई को प्रातः काल में आपको उठ जाना है। स्नान आदि का कार्य से निवृत्त होने के बाद मंदिर की पूजा साफ सफाई कीजिएगा और उसके बाद आपको क्या करना है? सबसे पहले आपको अपने पितरों को प्रसन्न करना है। याद रखिएगा। जो भी आपके पित जो अभी इस धरती पर नहीं है उनके उन पे आपको उन पे तर्पण करना है या उन पे सफेद फूल चढ़ाने हैं। उसके बाद आपको त्रिपिंडी श्राद्ध बनाना है। यानी कि चावल के तीन आपको श्राद्ध बनाने हैं। यानी राइट हैंड से ही बनते हैं मित्रों। तो ऐसे में क्या करना है? चावल के तीन पिंड बनाने हैं और वह पितरों को आपको अर्पित करना है। यदि आप तर्पण ना कर पाएं। देश विदेश में रहते हैं और आप पिंडदान नहीं कर पाए तो त्रिपिंडी श्राद्ध जो आप खुद से भी कर सकते हैं। यानी आपको आटे को उबाल लेना है। उसके अंदर दही, शहद, काले तिल, जौ डालकर एक गोला बना लेना है। गोल आकार के जैसे लड्डू बनते हैं उस प्रकार से बनाने हैं। तीन आपको बनाने हैं। पितरों का ध्यान करते हुए जो भी पितर इस इस धरा पे नहीं है उनका ध्यान करते हुए दादा-दादी या मरहूम पर दादा-दादी नाना नानी का ध्यान करते हुए कि हे पित मेरे ऊपर जो शनि का प्रकोप है वो कम हो जाए हमारा काम अच्छा चले हमारे घर के अंदर शांति बरकत रहे और आप यह श्राद्ध पितरों के नाम से ओम पितृ देवताभ्यो नमः यह बोलते हुए चढ़ा दीजिएगा तीन पिंड के त्रिपिंडी श्राद्ध आपको चढ़ाने हैं। उसके बाद आपको क्या करना है? शनि मंदिर जाकर आपको शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना है और काले तिल आपको चढ़ाने हैं। काले कपड़े आपको चढ़ाना है और नीला फूल शनि मंदिर में शनि के चरणों पे अर्पित करना है। ओम सम शनिचराय नमः जय जय शनिदेव बोलते हुए आप शनि मंदिर में उस दिन में जरूर जाएं। किसी वक्त भी जाएं और यह आपको काला तेल, काले कपड़े और कहीं ना कहीं आपको नीले फूल और सरसों का तेल आपको चढ़ाना है शनिदेव को। उसके बाद आपको पीपल की पूजा करनी है। पीपल के पेड़ पे जल चढ़ाना है। उसके बाद अक्षत सिंदूर आप चढ़ा दीजिएगा। उसके बाद आप दीपक जला दीजिएगा। और उसके बाद जो वहां गरीब बैठे हैं उनको आप कड़ी चावल का दान भी कर सकते हैं। लड्डू का दान, मिठाई का दान कुछ ना कुछ दान शनि देव शनि मंदिर के बाहर जो गरीब बैठे हैं उनको जरूर करके आइएगा। तो इससे आप पे शनि का जो प्रकोप है साढ़ेसाती का या शनि का जो प्रकोप है ढैया का शनि की महादशा अच्छी नहीं चल रही तो यह उपाय करने से आप राहु राहत महसूस करेंगे तो इस प्रकार से शनि जयंती पे आप उपाय जरूर करिएगा उससे आपको राहत जरूर मिलेगी

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